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Bøger udgivet af Prakhar Goonj

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  • af Rani Singh
    147,95 kr.

  • af Yash Singhania & Ishita Vyas
    517,95 kr.

  • af Akshay Mishra
    157,95 kr.

  • af Vandana Sharma
    157,95 kr.

  • af &2352, &234, &2350, mfl.
    138,95 kr.

    लेखिका के शब्दों में अपने लेखों द्वारा अपनी बात को लोगों तक पहुंचाया जाए ताकि वो उनके दिलों को छू जाए तो लेखन की सार्थकता है । आज के कठिन समय जब महारी ने समस्त विश्व को जकड़ा हो लिखना आसान नहीं था। लेकिन नकारात्मक स्थितियों में यदि हमारा लेखन समाज में सकारत्मकता प्रदान करे तो जरूर लिखना चाहिए। जब समाज में ऐसी हवा चल रही हो कि हर व्यक्ति किसी न किसी मुश्किल या तकलीफ से घिरा हो, और आप चाह कर भी उसकी मदद के लिए उस तक नही पहुँच पा रहे हों, ऐसे कठिन वक़्त में आपके कहे कुछ प्रेम भरे और सांत्वना भरे शब्द उसे उस दुःख से उभरने में सहायक होते हैं। एक ऐसी ही सोच से मैंने लिखना आरंभ किया था। जी हाँ, लॉकडॉन का वो अत्यंत कठिन समय जब हर कोई अपने अपने घरों तक सिमीत हो गया था उस वक़्त डिप्रेशन का माहौल था। उस वक़्त की नजाकत को समझते हुए अपने लेखों द्वारा एक सकारात्मक सोच को लोगों तक पहुंचाने की मैंने कोशिश की। अपने यूटूब चैनेल पर जब मैंने अपने लेखन को अपलोड किया तो लोगों ने उसकी प्रशंसा करनी शुरू की और बराबर मेरे पास समस्याओं को लेकर प्रश्न आने लगे। इससे मेरी हिम्मत और बनी और फिर ये एक ना रुकने वाला सिलसिला बन गया। आज मैं अपने चैनल और लेखन के जरिये लोगों में सकारात्मकता का विस्तार करने की कोशिश करती रहती हूँ।

  • af 2337&2377. &2352&2366&2350&2342&
    138,95 kr.

    कोशी का पूर्णियॉ जिला बिहार के पूर्वेात्तर भाग में 25.240 से 26.70 उत्तर अक्षांश और 86.500 से 88.530 पश्चिम देशांतर पर स्थित है। आज का बिहार एक ऐसा राज्य है जिसका मुख्य आधार कृषि है। कुछ वृहत उद्योग तथा लघु एवं कुटीर उद्योग राज्य में बचे है, वह बंद है या रूग्न या बंदी के कगार पर है। ऐसी स्थिति में कृषि आधारित उद्योगों का विकास काफी अधिक महत्व रखता है जिसकी अपार संभावनाएं कोशी के पूर्णियॉ जिले में विद्यमान है। कोशी के पूर्णियॉ जिला की अति उर्वर भूमि है, यहां भिन्न-भिन्न तरह के खाद्य फसल, फूल, फल, मशाले, व्यावसयिक फसल, चाय, सब्जियां उगाई जाती है इसलिए कृषि आधारित उद्योगों जैसे चीनी, जूट, कागज, सिल्क खाद्य प्रसंस्रण, दूग्ध एवं चमड़ा उद्योग इत्यादि के विकास एवं विस्तार की भारी संभावनाएं मौजूद हैं।

  • af R. K. Tiwari 'Matang'
    147,95 kr.

  • af Pooja Singh Durga
    132,95 kr.

  • af &2358, &23, &2352, mfl.
    129,95 kr.

  • af 2337&2366. &2357&2367&2332&2351 &
    138,95 kr.

    धी के अर्थशास्त्र की प्रासंगिकता के ऊपर एक बहुत अच्छा शोध बी एन घोष ने अपनी पुस्तक 'गांधियन पॉलीटिकल इकोनामी' में किया है, जहां उन्होंने मलेशिया की अर्थव्यवस्था के संदर्भ में गांधी की असमानताओं की दृष्टि की गणितीय आधार पर परिकल्पना बनाकर परीक्षण किया है यह सोच अपने आप में एक नवीनता लिए हुए हैं गांधी के अर्थशास्त्र पर लिखने पढ़ने और चिंतन करने वाले नए शोधार्थियों को इस पुस्तक की कार्यप्रणाली और शोध प्रणाली को अपनाना चाहिए गांधी के आर्थिक दृष्टिकोण को हमें और नवीनता से समझना होगा यह बात भी हमें समझनी होगी कि गांधी हो सकता है कई जगह यंत्रों को लेकर, मशीनीकरण को लेकर और समाजवाद को लेकर कुछ गंभीर वैचारिक भूल कर सकते हैं, किंतु इन वैचारिक भूलों पर भी एक वैचारिक विमर्श करना आर्थिक नीति निर्माताओं का कर्तव्य है जिस प्रकार आर्थिक नीति निर्माताओं द्वारा गांधी के आर्थिक दर्शन को छद्मम रूप में अपनाया गया चाहे वह लोकतांत्रिक तौर पर विकेंद्रीकरण हो, या चाहे वह पंचायती राज हो, चाहे वो ग्रामस्वराज हो, और चाहे वह स्वदेशी हो, गांधी की अधूरी आर्थिक अवधारणाओं को अपनाने से इस देश का ही नुकसान है क्योंकि हमें यह समझना होगा कि गांधी का हर एक आर्थिक दर्शन का आधार एक एकमुखी ना होकर बहुआयामी है और यह बहुआयाम,गांधी के रचनात्मक कार्यक्रमों और उनकी नवभारत के निर्माण की अहिंसक परिकल्पना से भी जुड़ा हुआ है

  • af &2358, &23, &2375, mfl.
    137,95 kr.

    एक लेखक / संरक्षक को ईमानदार, उदार, साहसी, ऊर्जावान, भावुक, स्पष्टवादी, प्रामाणिक और अपने पाठक या सदस्य या अनुयायी के प्रति समर्पित होना चाहिए और मैं अपने जीवन में इन सिद्धांतों का पालन कर रहा हूं। मैंने यह भी अनुभव किया कि यह मेरे लिए सम्मान की बात है कि पाठकों, सदस्यों और अनुयायियों के प्रेम के अतिरिक्त मेरे लिए और कोई सबसे अच्छा उपहार नहीं है। मैं उनकी चिंताओं के सार्थक ईमानदार संचार को सुनने और अपने अनुयायियों या पाठकों के साथ पर्याप्त सुझाव का उत्तर देने पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूं, जो मुझे जब भी समय मिलता है तो मुझसे प्रसन्न करते हैं। मैंने यह पुस्तक पाठकों के लिए यह समझने के लिए लिखी है कि जब वे पढ़ेंगे तो यह कई भ्रांतियों को दूर कर देगा जो उनके लिए यह एक आदर्श और लाभदायक होगा। प्रत्येक युवा पुरुष या महिला के लिए बेहतर है कि वह एक छात्र, पेशेवर या व्यवसायी हो, शांतिपूर्ण, समृद्ध जीवन जीने की नैतिकता को समझे। प्रारंभिक अवस्था में यह जानना उनके हित में है कि उचित सेटिंग से उनका आने वाला भाग्य किस तरह से होगा। यह अच्छा या बुरा हो सकता है, यह आपकी आदतों, व्यवहार, मानसिकता, पूर्व-निर्धारित धारणाओं आदि पर निर्भर करेगा। आप आत्म-विश्लेषण करके और फिर उस पर कार्य करके इसकी गणना कर सकते हैं। मुझे आशा है कि प्रत्येक पाठक इसमें रुचि लेगा और इस अभ्यास को करना चाहेगा। मैं अपने सभी पाठकों के सुखी, स्वस्थ और शांतिपूर्ण जीवन की कामना करता हूं

  • af Vien Singh
    207,95 kr.

  • af Keshi Gupta
    128,95 kr.

    ज़िंदगी बहुत रंग-बिरंगी होती है। बिना रंगों के ज़िंदगी फीकी और बैरंग लगने लगती है। ज़िंदगी में आने वाले उतार-चढ़ाव और एहसास ही ज़िंदगी के रंग कहलाते हैं। इन्हीं रंगों से ज़िंदगी की तस्वीर बनती है। मेरी पुस्तक "ज़िंदगी की कहानियां " (लघु कथाएं ) ज़िंदगी से जुड़ी कहानियों का संग्रह है। जिसमें मैंने मानव की ज़िंदगी के सभी एहसासों, उतार-चढ़ाव को लघु कथाओं में संजोने का प्रयास किया है। इस पुस्तक की लघु कथाएं मानव समाज के रीति रिवाज सोच और उससे जुड़ी परिस्थितियों को दर्शाती है। ज़िंदगी के सफर में बहुत से लोगों से मुलाकातें होती हैं और अनेक पहलू, एहसासों को समझने का मौका मिलता है। इस पुस्तक के सभी पात्र ज़िंदगी के सफ़र से ही उभरे हैं। इसलिए इस पुस्तक की कहानियों को पढ़ते हुए आप इन पात्रों को अपने इर्द-गिर्द और करीब के रिश्तों में महसूस करेंगे। प्यार एक ऐसा एहसास है जिसकी तलाश हर व्यक्ति चाहे वह नर हो या मादा, ज़िंदगी के हर पल में खोजता है। प्यार के एहसास के अनेक रूप और पहलू देखने को मिलते हैं। हर रिश्ते में प्यार के अहसास का होना उस रिश्ते को सार्थक और पूर्ण करता है। प्यार के अभाव में कोई भी रिश्ता मात्र बंधन बन कर रह जाता है। इसी एहसास के साथ वफा, करुणा, विश्वास बेवफाई, धोखा जैसे अनेक पहलू जन्म लेते हैं। यह सभी एहसास व्यक्ति के जीवन में आने वाली परिस्थितियों और समय के अनुसार अपना रंग बिखेरते दिखाई पड़ते हैं।

  • af (&&& Dinesh Pal Singh
    157,95 kr.

    वो जूनून ही क्या, जो वक्त का मोहताज हो वो इश्क ही क्या, जो अंजाम तक पहुँचे दिनेश पाल सिंह

  • af Arti Priyadarshni
    118,95 kr.

    उसी रात मेरे पति के भीतर का शैतान फिर से जागृत हुआ और घर छोड़कर भागने की सजा के तौर पर उसने सोते समय मेरे ऊपर तेजाब डाल दिया। उसने बहुत शराब पी रखी थी और कमरे में भी बहुत अंधेरा था ....शायद इसलिए मेरा चेहरा भर बच गया। मगर मेरा पूरा शरीर ......मांस का टुकड़ा बनकर रह गया।"----- इतना कहते हुए मंजू ने अपना शाल हटा दिया। कपड़ों से झांकते उसके गले, बाँह और पेट का वीभस्त रूप उस राक्षस की कुत्सित मानसिकता की सच्चाई को उजागर कर रहा था । मैं रो पड़ा । जी ने चाहा कि मैं उसे अपनी बाहों में जोर से भींच लूं ......उसकी आत्मा में समा जाऊं.... ताकि उस के दर्द को मै भी महसूस कर सकूं.... आखिर मैं भी कहीं ना कहीं उसकी इस हालत का जिम्मेदार था....।

  • af Preeti Agyaat
    128,95 kr.

    मुझे न दिशाएँ समझ आतीं हैं और न रास्ते, पर फिर भी मैं नई राहों से गुज़रने की हिम्मत जुटा पाती हूँ। पहाड़ की ऊँची चोटी मुझे उतनी प्रभावित नहीं करती जितनी कि वहाँ पहुँचने से पहले की यात्रा सुहाती है। वहाँ मैं कई मर्तबा रुक-रुककर न केवल अपनी श्वाँस को सामान्य करती हूँ बल्कि उस पल भर के ठहराव को भी खुलकर महसूस करती हूँ। प्रायः अपने कैमरे में क़ैद भी कर लिया करती हूँ। यहाँ रोज चढ़ने-उतरने वाले लोग जब डग भरते हुए आगे निकल जाते हैं तो मेरा मन उनके प्रति आदर से भर उठता है और उनके होठों के इर्दगिर्द उभरती दो लक़ीरें मुझमें अपार ऊर्जा का संचार कर देती हैं। रोज चढ़ने-उतरने वाले इन लोगों के मन में कभी भी इस काम को लेकर उबाऊपन नहीं दिखता। ये खुश हैं अपने-आपसे। आज के दौर में मुस्कुराते चेहरे दिखते ही कितने हैं! न जाने हँसी और प्रेम को भूल लोग व्यर्थ के तनाव और ईर्ष्या को क्यों गले लगा बैठे हैं। हर बीते पल के साथ जीवन हाथ छोड़ता जा रहा है फिर भी कुछ लोग साथ की महत्ता नहीं समझ सके! समंदर के साथ-साथ मीलों चलना चाहती हूँ ये जाने बिना कि न जाने उस आख़िरी छोर पर क्या होगा, कुछ होगा भी या नहीं! पर मैं उस तक पहुँचना चाहती हूँ। मछुआरे जाल फेंकते हैं, उनका समूह एक साथ गाते हुए एक-दूसरे का उत्साह बढ़ाता है। कभी नाव को किनारे लगाते समय सब पंक्तिबद्ध खड़े होकर रस्सी खींचते हैं। मैं ठिठककर उनके पास खड़ी हो सहायता करने की सोचती हूँ, ये जानते हुए भी कि इस रस्सी को थाम लेने भर से मैं इसे खींच नहीं पाऊँगी और यह प्रयास भी बेहद बचकाना है पर ऐसा करना अच्छा लगता है मुझे। क्योंकि उस समय उनके चेहरों पर जीवन राग की सबसे सुन्दर तस्वीर दिखाई देती है।

  • af &2366, &2350, 2352, mfl.
    158,95 kr.

  • af Suniti Kharbanda
    157,95 kr.

  • af Kishan Dubey
    157,95 kr.

  • af Gauri Shankar Bhakt
    147,95 kr.

  • af Rahul Mishra
    147,95 kr.

  • af Abul Barkat Begi
    157,95 kr.

  • af Shyam Kishore Pathak
    167,95 kr.

  • af Vinni Rawal
    167,95 kr.

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