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इश्क़ मेरा - Kavi Kailashi Punit - Bog

Bag om इश्क़ मेरा

इश्क़ मेरा, मेरी दिल से निकली कविताओं का संकलन हैं । मैंने इस पुस्तक की पहली रचना करीब एक वर्ष पहले लिखी और इसका वाचन ' राजराजेश्वरी फाउंडेशन, उदयपुर द्वारा पिछोला झील में आयोजित 'कश्ती पर कविता' कार्यक्रम में किया। सभी ने इसे बहुत सराहा। विशेषकर मेरी अर्धांगिनी लविना को यह कविता बहुत अच्छी लगी। विश्व विख्यात कवि अजातशत्रु ने भी इसे बहुत पसंद किया और उन्होंने संकलन हेतु प्रेरित किया। उन्हीं की प्रेरणा से पुस्तक की एक कविता '' लहर और पहर '' का वाचन करने का सुअवसर नगर निगम, उदयपुर द्वारा आयोजित दीपावली कवि सम्मेलन में मिला।पुस्तक में संकलित सभी कविताओं का सार यहीं हैं कि आपको किसी भी काम में यदि सफलता प्राप्त करनी हैं तो आपको उस काम से इश्क़ करना होगा। हम जो चाहे कर सकते हैं, जो चाहे सीख सकते हैं, जो चाहे बन सकते हैं यदि हम चाहे और उसके पीछे अपना सबकुछ लगा लें। ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार से एक आशिक जो अपनी महबूबा से इश्क़ करता हैं, वो अपना सबकुछ दांव पर लगा देता हैं, एक सिपाही जो अपने घर परिवार से भी ज्यादा अपने वतन से मोहब्बत करता हैं वो अपनी जान तक हँसते -हँसते कुर्बान कर देता हैं, एक विद्यार्थी ज्ञान प्राप्त करने के लिए गुरु को समर्पित हो जाता हैं।जुनून के बिना आप अपने लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर सकते, आपकी जीत और आपकी हार आप स्वयं तय करते हो। बिना कुछ खोए कुछ भी पाना असंभव हैं। आपको सफलता पाने के लिए अपना समय, अपनी लगन, अपनी मेहनत उस काम को करने में लगानी पड़ती हैं। मेरा यह मानना हैं कि ये जुनून उस काम से इश्क़ किये बिना संभव नहीं हैं ।ईश्वर के सभी बंदे किसी न किसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु सृजित किये गए हैं। जीवन की सफलता और इसका औचित्य इसी में हैं कि हम हमारे होने के उद्देश्य को पहचाने और उसे पूरा करने में जी जान लगा लें। ह

Vis mere
  • Sprog:
  • Hindi
  • ISBN:
  • 9798223136101
  • Indbinding:
  • Paperback
  • Sideantal:
  • 92
  • Udgivet:
  • 10. december 2023
  • Størrelse:
  • 127x6x203 mm.
  • Vægt:
  • 109 g.
  • 2-3 uger.
  • 6. december 2024
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Beskrivelse af इश्क़ मेरा

इश्क़ मेरा, मेरी दिल से निकली कविताओं का संकलन हैं । मैंने इस पुस्तक की पहली रचना करीब एक वर्ष पहले लिखी और इसका वाचन ' राजराजेश्वरी फाउंडेशन, उदयपुर द्वारा पिछोला झील में आयोजित 'कश्ती पर कविता' कार्यक्रम में किया। सभी ने इसे बहुत सराहा। विशेषकर मेरी अर्धांगिनी लविना को यह कविता बहुत अच्छी लगी। विश्व विख्यात कवि अजातशत्रु ने भी इसे बहुत पसंद किया और उन्होंने संकलन हेतु प्रेरित किया। उन्हीं की प्रेरणा से पुस्तक की एक कविता '' लहर और पहर '' का वाचन करने का सुअवसर नगर निगम, उदयपुर द्वारा आयोजित दीपावली कवि सम्मेलन में मिला।पुस्तक में संकलित सभी कविताओं का सार यहीं हैं कि आपको किसी भी काम में यदि सफलता प्राप्त करनी हैं तो आपको उस काम से इश्क़ करना होगा। हम जो चाहे कर सकते हैं, जो चाहे सीख सकते हैं, जो चाहे बन सकते हैं यदि हम चाहे और उसके पीछे अपना सबकुछ लगा लें। ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार से एक आशिक जो अपनी महबूबा से इश्क़ करता हैं, वो अपना सबकुछ दांव पर लगा देता हैं, एक सिपाही जो अपने घर परिवार से भी ज्यादा अपने वतन से मोहब्बत करता हैं वो अपनी जान तक हँसते -हँसते कुर्बान कर देता हैं, एक विद्यार्थी ज्ञान प्राप्त करने के लिए गुरु को समर्पित हो जाता हैं।जुनून के बिना आप अपने लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर सकते, आपकी जीत और आपकी हार आप स्वयं तय करते हो। बिना कुछ खोए कुछ भी पाना असंभव हैं। आपको सफलता पाने के लिए अपना समय, अपनी लगन, अपनी मेहनत उस काम को करने में लगानी पड़ती हैं। मेरा यह मानना हैं कि ये जुनून उस काम से इश्क़ किये बिना संभव नहीं हैं ।ईश्वर के सभी बंदे किसी न किसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु सृजित किये गए हैं। जीवन की सफलता और इसका औचित्य इसी में हैं कि हम हमारे होने के उद्देश्य को पहचाने और उसे पूरा करने में जी जान लगा लें। ह

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