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असीमित सा मैं...! - Kumar Gaurav - Bog

Bag om असीमित सा मैं...!

मेरी काव्य संग्रह 'असीमित सा मैं' में मैंने अपनी भावनाओं, अनुभवों और संवेदनाओं को कविताओं के रूप में व्यक्त किया है।यह एक ऐसा काव्य संग्रह है जो एक ऐसी जीवन दृष्टि को दर्शाता है, जो सीमाओं से परे होती है। इस संग्रह में समय, जीवन, प्रेम, उम्मीद और जीते-जीने का सच ऐसे मानवीय अनुभवों के माध्यम से बताया गया है, जो हमारी रूह को छू जाते हैं। इस संग्रह को लिखने के पीछे मेरा मूल उद्देश्य अपनी भावनाओं को दूसरों के साथ साझा करना हैं। मैंने इस संग्रह में अपने जीवन के कुछ अनुभवों को दर्पण में पेश करने का प्रयास किया है। मेरी कोशिश रही है कि इस संग्रह से आप अपनी भावनाओं को भी संबद्ध कर सकें। कुमार विश्वास जी ने कहा है, 'किसी को देखने के लिए एक पल काफी हैं। उसे पसंद करने के लिए एक दिन काफी हैं। उससे इश्क़ करने के लिए एक साल काफी हैं। लेकिन उस एक चेहरे को भूलने के लिए एक जिंदगी कम हैं।' इस संग्रह में कुछ कविताओं का विषय मेरे परिवार और दोस्तों के साथ मेरे जीवन के अनुभवों से जुड़ा हुआ है। दूसरी ओर, कुछ कविताओं में मैंने अपनी विचारधारा को साझा करने का प्रयास किया है। वक़्त की तितली दो पल के लिए हथेली चूमकर अपने पंखों का जो चटक रंग मेरी अँगुलियों पर छोड़कर गई थी, उसी रंग से यह किताब जिल्द में ढली है।

Vis mere
  • Sprog:
  • Hindi
  • ISBN:
  • 9789358267372
  • Indbinding:
  • Paperback
  • Sideantal:
  • 74
  • Udgivet:
  • 6. august 2023
  • Størrelse:
  • 127x5x203 mm.
  • Vægt:
  • 91 g.
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Beskrivelse af असीमित सा मैं...!

मेरी काव्य संग्रह 'असीमित सा मैं' में मैंने अपनी भावनाओं, अनुभवों और संवेदनाओं को कविताओं के रूप में व्यक्त किया है।यह एक ऐसा काव्य संग्रह है जो एक ऐसी जीवन दृष्टि को दर्शाता है, जो सीमाओं से परे होती है। इस संग्रह में समय, जीवन, प्रेम, उम्मीद और जीते-जीने का सच ऐसे मानवीय अनुभवों के माध्यम से बताया गया है, जो हमारी रूह को छू जाते हैं। इस संग्रह को लिखने के पीछे मेरा मूल उद्देश्य अपनी भावनाओं को दूसरों के साथ साझा करना हैं। मैंने इस संग्रह में अपने जीवन के कुछ अनुभवों को दर्पण में पेश करने का प्रयास किया है। मेरी कोशिश रही है कि इस संग्रह से आप अपनी भावनाओं को भी संबद्ध कर सकें। कुमार विश्वास जी ने कहा है, 'किसी को देखने के लिए एक पल काफी हैं। उसे पसंद करने के लिए एक दिन काफी हैं। उससे इश्क़ करने के लिए एक साल काफी हैं। लेकिन उस एक चेहरे को भूलने के लिए एक जिंदगी कम हैं।' इस संग्रह में कुछ कविताओं का विषय मेरे परिवार और दोस्तों के साथ मेरे जीवन के अनुभवों से जुड़ा हुआ है। दूसरी ओर, कुछ कविताओं में मैंने अपनी विचारधारा को साझा करने का प्रयास किया है। वक़्त की तितली दो पल के लिए हथेली चूमकर अपने पंखों का जो चटक रंग मेरी अँगुलियों पर छोड़कर गई थी, उसी रंग से यह किताब जिल्द में ढली है।

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