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Chandrakanta - Devaki Khatri Nandan - Bog

Bag om Chandrakanta

किसी तरह किसी की लौ तभी तक लगी रहती है जब तक कोई दूसरा आदमी किसी तरह की चोट उसके दिमाग पर न दे और उसके ध्यान को छेड़ कर न बिगाड़े, इसीलिए योगियों को एकांत में बैठना कहा है। कुँवर वीरेंद्र सिंह और कुमारी चन्द्रकांता की मुहब्बत बाज़ारू न थी, वे दोनों एक रूप हो रहे थे, दिल ही दिल में अपनी जुदाई का सदमा एक ने दूसरे से कहा और दोनों समझ गए मगर किसी पास वाले को मालूम न हुआ, क्यूंकि ज़ुबान दोनों की बंद थी। -देवकीनन्दन खत्री

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  • Sprog:
  • Engelsk
  • ISBN:
  • 9789389851243
  • Indbinding:
  • Paperback
  • Sideantal:
  • 270
  • Udgivet:
  • 28. maj 2019
  • Størrelse:
  • 140x216x14 mm.
  • Vægt:
  • 318 g.
  • 2-3 uger.
  • 10. december 2024

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Beskrivelse af Chandrakanta

किसी तरह किसी की लौ तभी तक लगी रहती है जब तक कोई दूसरा आदमी किसी तरह की चोट उसके दिमाग पर न दे और उसके ध्यान को छेड़ कर न बिगाड़े, इसीलिए योगियों को एकांत में बैठना कहा है। कुँवर वीरेंद्र सिंह और कुमारी चन्द्रकांता की मुहब्बत बाज़ारू न थी, वे दोनों एक रूप हो रहे थे, दिल ही दिल में अपनी जुदाई का सदमा एक ने दूसरे से कहा और दोनों समझ गए मगर किसी पास वाले को मालूम न हुआ, क्यूंकि ज़ुबान दोनों की बंद थी। -देवकीनन्दन खत्री

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