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Dr. Hedgewar - Prakash Tripathi - Bog

Bag om Dr. Hedgewar

डॉ हेडगेवार ने अपने को छिपाकर रखा था। उनके कार्य ने उनको उजागर किया। आज डॉ. हेडगेवार हममें जीवित हैं, हम उनकी नाद परंपरा के वंशधर हैं। हम उनके विचारों को स्वीकार कर आगे बढ़ाने का अपनी-अपनी शक्ति भर प्रयास कर रहे हैं । डॉ. हेडगेवार हम में, आप में जीवित हैं। डॉ. हेडगेवार बड़े विलक्षण व्यक्ति थे। उनमें क्रांतिकारी चेतना बचपन से ही थी । उन्होंने मौलिकता का एक विशेष अनुसंधान किया था। डॉ. हेडगेवार ने संघ को कोई संप्रदाय नहीं बनाया, कोई मठ नहीं बनाया। डॉक्टरजी ने हमें बताया कि मनुष्य प्रधान है । मनुष्य आएगा तो मनुष्य के साथ उसको सारी क्षमता आएगी। उसको शक्ति आएगी, उसका पैसा आएगा, उसका चिंतन आएगा, उसकी बुद्धि आएगी । कोई भी चीज मनुष्य छोड़कर तो आएगी नहीं। आज के अर्थप्रधान युग में अर्थ को चुनौती देते हुए इतना बड़ा संगठन खड़ा हो सकता है, उसके द्वारा सहज भाव से आत्मीयता से एक सामाजिक समन्वय हो सकता है, शक्तिसंपन्]न हो सकती है, इसको प्रमाणित किया है डॉ. हेडगेवार के जीवन ने । इसलिए आज भी हम उनका स्मरण करते रहते हैं । जिस मिट्टी को डॉक्टरजी ने छआ, वह इस्पात बन गया। साधारण लोग, अपेक्षाकृत कम पढ़े-लिखे लोग, अपेक्षाकृत मौन रहनेवाले लोग, उनको भी उन्होंने फौलाद बना दिया। --आचार्य विष्णुकांत शास्त्री

Vis mere
  • Sprog:
  • Hindi
  • ISBN:
  • 9789392012242
  • Indbinding:
  • Hardback
  • Sideantal:
  • 178
  • Udgivet:
  • 28. marts 2022
  • Størrelse:
  • 140x14x216 mm.
  • Vægt:
  • 376 g.
  • 2-3 uger.
  • 10. december 2024
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Beskrivelse af Dr. Hedgewar

डॉ हेडगेवार ने अपने को छिपाकर रखा था। उनके कार्य ने उनको उजागर किया। आज डॉ. हेडगेवार हममें जीवित हैं, हम उनकी नाद परंपरा के वंशधर हैं। हम उनके विचारों को स्वीकार कर आगे बढ़ाने का अपनी-अपनी शक्ति भर प्रयास कर रहे हैं । डॉ. हेडगेवार हम में, आप में जीवित हैं। डॉ. हेडगेवार बड़े विलक्षण व्यक्ति थे। उनमें क्रांतिकारी चेतना बचपन से ही थी । उन्होंने मौलिकता का एक विशेष अनुसंधान किया था। डॉ. हेडगेवार ने संघ को कोई संप्रदाय नहीं बनाया, कोई मठ नहीं बनाया। डॉक्टरजी ने हमें बताया कि मनुष्य प्रधान है । मनुष्य आएगा तो मनुष्य के साथ उसको सारी क्षमता आएगी। उसको शक्ति आएगी, उसका पैसा आएगा, उसका चिंतन आएगा, उसकी बुद्धि आएगी । कोई भी चीज मनुष्य छोड़कर तो आएगी नहीं। आज के अर्थप्रधान युग में अर्थ को चुनौती देते हुए इतना बड़ा संगठन खड़ा हो सकता है, उसके द्वारा सहज भाव से आत्मीयता से एक सामाजिक समन्वय हो सकता है, शक्तिसंपन्]न हो सकती है, इसको प्रमाणित किया है डॉ. हेडगेवार के जीवन ने । इसलिए आज भी हम उनका स्मरण करते रहते हैं । जिस मिट्टी को डॉक्टरजी ने छआ, वह इस्पात बन गया। साधारण लोग, अपेक्षाकृत कम पढ़े-लिखे लोग, अपेक्षाकृत मौन रहनेवाले लोग, उनको भी उन्होंने फौलाद बना दिया। --आचार्य विष्णुकांत शास्त्री

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