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Lopa Agastya - Rita Shukla - Bog

Bag om Lopa Agastya

ऐश्वर्य से भरा जीवन त्याग कर वल्कलधारिणी बननेवाली ब्रह्मवादिनी लोपा को उनके संकल्प से कोई भी नहीं डिगा पाया। वे स्वयंवरा बनीं।. इस औपन्यासिक कृतिमें आर्यावर्त की सनातन संस्कृति का, वैदिक वाङ्मय के उस विराट् स्वरूप का विशेष आकर्षणहै, जिसके अभाव में राष्ट्रबोध की अवधारणा का कोई मोल नहीं!. भारत की नारीशक्तिसकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण मृत्यु के रव में अमृतत्व का संधान करती उत्कर्ष की नईऊँचाइयों को छूने के प्रयास में संलग्न है।. शताब्दियाँ व्यतीतहो जाएँगी, लोकधर्म का मूल सत्य अपरिवर्तित ही रहेगा। राम की राजनीति-आंतरिक निर्णयोंकी गोपनीयता, प्रजा के कल्याण हेतु राजकोष के अधिकतम अंश का प्रावधान, न्यूनतम निजीव्यय, सत्यवादी सभासदों, अमात्यों, अंगरक्षकों की पहचान, प्रजा पर कोई भी कर नहीं,कृषि और व्यवसाय के दैनंदिन उत्कर्ष का संकल्प, भौतिक संपदा के स्थान पर दैवी संपदाको सबसे अधिक मूल्यवान समझना.... लोपामुद्रा और अगस्त्यकी यह कथा हमारी संतति को असंशयी, दृढ़निश्चयी बना सके, यही इसका श्रेय और प्रेय है।

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  • Sprog:
  • Hindi
  • ISBN:
  • 9789390825240
  • Indbinding:
  • Hardback
  • Sideantal:
  • 168
  • Udgivet:
  • 22. august 2023
  • Størrelse:
  • 140x13x216 mm.
  • Vægt:
  • 363 g.
  • 2-3 uger.
  • 23. december 2024
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Beskrivelse af Lopa Agastya

ऐश्वर्य से भरा जीवन त्याग कर वल्कलधारिणी बननेवाली ब्रह्मवादिनी लोपा को उनके संकल्प से कोई भी नहीं डिगा पाया। वे स्वयंवरा बनीं।. इस औपन्यासिक कृतिमें आर्यावर्त की सनातन संस्कृति का, वैदिक वाङ्मय के उस विराट् स्वरूप का विशेष आकर्षणहै, जिसके अभाव में राष्ट्रबोध की अवधारणा का कोई मोल नहीं!. भारत की नारीशक्तिसकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण मृत्यु के रव में अमृतत्व का संधान करती उत्कर्ष की नईऊँचाइयों को छूने के प्रयास में संलग्न है।. शताब्दियाँ व्यतीतहो जाएँगी, लोकधर्म का मूल सत्य अपरिवर्तित ही रहेगा। राम की राजनीति-आंतरिक निर्णयोंकी गोपनीयता, प्रजा के कल्याण हेतु राजकोष के अधिकतम अंश का प्रावधान, न्यूनतम निजीव्यय, सत्यवादी सभासदों, अमात्यों, अंगरक्षकों की पहचान, प्रजा पर कोई भी कर नहीं,कृषि और व्यवसाय के दैनंदिन उत्कर्ष का संकल्प, भौतिक संपदा के स्थान पर दैवी संपदाको सबसे अधिक मूल्यवान समझना.... लोपामुद्रा और अगस्त्यकी यह कथा हमारी संतति को असंशयी, दृढ़निश्चयी बना सके, यही इसका श्रेय और प्रेय है।

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