Udvidet returret til d. 31. januar 2025

Suno, Agnisambhav Kavitayen (सुनो, अग्निसंभव कविताएं) - Himanshu Joshi - Bog

Bag om Suno, Agnisambhav Kavitayen (सुनो, अग्निसंभव कविताएं)

यशस्वी कवि, कथाकार रामदरश मिश्रजी ने हिमांशुजी की कविताओं के संबंध में लिखा है, "इन कविताओं को पढ़ने पर यह अहसास बराबर बना रहता है कि हिमांशुजी में काव्यात्मक संवेदना है। उनकी कविताओं में समकालीन कविता का-सा समकालीन जीवन - यथार्थ है। इनमें व्यवस्था की तमाम विसंगतियों, अमानवीय हरकतों और शोषक वृत्ति की पहचान है, साथ ही व्यवस्था से उपजी हुई आम आदमी की यातना, बेबसी और आग का अहसास है । 'सुनो, अग्निसम्भव', 'आग की फसल', 'सूखी नदी में', 'तुम्हारा ही इतिहास', 'गाँव चार चित्र' आदि अनेक कविताएँ इसी मिजाज की हैं।

Vis mere
  • Sprog:
  • Hindi
  • ISBN:
  • 9789359641485
  • Indbinding:
  • Paperback
  • Udgivet:
  • 13. december 2023
  • Størrelse:
  • 140x216x12 mm.
  • Vægt:
  • 272 g.
  • BLACK NOVEMBER
Leveringstid: 2-3 uger
Forventet levering: 9. december 2024

Beskrivelse af Suno, Agnisambhav Kavitayen (सुनो, अग्निसंभव कविताएं)

यशस्वी कवि, कथाकार रामदरश मिश्रजी ने हिमांशुजी की कविताओं के संबंध में लिखा है, "इन कविताओं को पढ़ने पर यह अहसास बराबर बना रहता है कि हिमांशुजी में काव्यात्मक संवेदना है। उनकी कविताओं में समकालीन कविता का-सा समकालीन जीवन - यथार्थ है। इनमें व्यवस्था की तमाम विसंगतियों, अमानवीय हरकतों और शोषक वृत्ति की पहचान है, साथ ही व्यवस्था से उपजी हुई आम आदमी की यातना, बेबसी और आग का अहसास है । 'सुनो, अग्निसम्भव', 'आग की फसल', 'सूखी नदी में', 'तुम्हारा ही इतिहास', 'गाँव चार चित्र' आदि अनेक कविताएँ इसी मिजाज की हैं।

Brugerbedømmelser af Suno, Agnisambhav Kavitayen (सुनो, अग्निसंभव कविताएं)



Find lignende bøger
Bogen Suno, Agnisambhav Kavitayen (सुनो, अग्निसंभव कविताएं) findes i følgende kategorier:

Gør som tusindvis af andre bogelskere

Tilmeld dig nyhedsbrevet og få gode tilbud og inspiration til din næste læsning.