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शंकराचार्य के विवेकचूडामणी की छंद मीमांसì - Ratnakar Narale - Bog

Bag om शंकराचार्य के विवेकचूडामणी की छंद मीमांसì

अद्वैत वैदिक धर्म के पुनरुत्थापक आदि शंकराचार्य के महान तात्त्विक चिकित्सा ग्रंथ छंद प्रचुर "विवेकचूडामणि" के छंदों की यह वैयाकरणीय मीमांसा है. संस्कृत के विशाल साहित्य सागर के महाकाव्य संपदा में 193 छंद-उपछंदों का जितना विस्तृत सोदाहरण प्रयोग विवेकचूडामणि में विद्यमान है उतना अन्यत्र कहीं प्रयुक्त नहीं है. कविवर शंकराचार्य जी की सुंदरतम और अलंकृत वाणी के प्रत्येक पद्य के प्रत्येक चरण का छंद-सूत्र, संधिविग्रह और उनका विश्लेषण सुव्यवस्थित रीति से तालिकाबद्ध पद्धति से यहाँ सुविधाजनक प्रस्तुत किया है. This book is a Research Work on the Prosody of the epic poem Vivekchudamani of the Great Poet Shankaracharya. It has a deep analytical and grammatical study of 193 meters and sub meters of Vivekachudamani. It is hoped that this study will inspire and provide ample material for the thinkers, students and the research scholars.

Vis mere
  • Sprog:
  • Hindi
  • ISBN:
  • 9781989416709
  • Indbinding:
  • Paperback
  • Sideantal:
  • 444
  • Udgivet:
  • 23. november 2022
  • Størrelse:
  • 140x23x216 mm.
  • Vægt:
  • 508 g.
  • 8-11 hverdage.
  • 5. december 2024
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Beskrivelse af शंकराचार्य के विवेकचूडामणी की छंद मीमांसì

अद्वैत वैदिक धर्म के पुनरुत्थापक आदि शंकराचार्य के महान तात्त्विक चिकित्सा ग्रंथ छंद प्रचुर "विवेकचूडामणि" के छंदों की यह वैयाकरणीय मीमांसा है. संस्कृत के विशाल साहित्य सागर के महाकाव्य संपदा में 193 छंद-उपछंदों का जितना विस्तृत सोदाहरण प्रयोग विवेकचूडामणि में विद्यमान है उतना अन्यत्र कहीं प्रयुक्त नहीं है. कविवर शंकराचार्य जी की सुंदरतम और अलंकृत वाणी के प्रत्येक पद्य के प्रत्येक चरण का छंद-सूत्र, संधिविग्रह और उनका विश्लेषण सुव्यवस्थित रीति से तालिकाबद्ध पद्धति से यहाँ सुविधाजनक प्रस्तुत किया है. This book is a Research Work on the Prosody of the epic poem Vivekchudamani of the Great Poet Shankaracharya. It has a deep analytical and grammatical study of 193 meters and sub meters of Vivekachudamani. It is hoped that this study will inspire and provide ample material for the thinkers, students and the research scholars.

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