Vi bøger
Levering: 1 - 2 hverdage

Chandrakanta - Devaki Nandan Khatri - Bog

Bag om Chandrakanta

किसी तरह किसी की लौ तभी तक लगी रहती है जब तक कोई दूसरा आदमी किसी तरह की चोट उसके दिमाग पर न दे और उसके ध्यान को छेड़ कर न बिगाड़े, इसीलिए योगियों को एकांत में बैठना कहा है। कुँवर वीरेंद्र सिंह और कुमारी चन्द्रकांता की मुहब्बत बाज़ारू न थी, वे दोनों एक रूप हो रहे थे, दिल ही दिल में अपनी जुदाई का सदमा एक ने दूसरे से कहा और दोनों समझ गए मगर किसी पास वाले को मालूम न हुआ, क्यूंकि ज़ुबान दोनों की बंद थी। -देवकीनन्दन खत्री

Vis mere
  • Sprog:
  • Hindi
  • ISBN:
  • 9789394780286
  • Indbinding:
  • Hardback
  • Sideantal:
  • 270
  • Udgivet:
  • 13. Marts 2023
  • Størrelse:
  • 140x19x216 mm.
  • Vægt:
  • 490 g.
  • 2-3 uger.
  • 23. Juli 2024
På lager

Normalpris

Medlemspris

Prøv i 30 dage for 45 kr.
Herefter fra 79 kr./md. Ingen binding.

Beskrivelse af Chandrakanta

किसी तरह किसी की लौ तभी तक लगी रहती है जब तक कोई दूसरा आदमी किसी तरह की चोट उसके दिमाग पर न दे और उसके ध्यान को छेड़ कर न बिगाड़े, इसीलिए योगियों को एकांत में बैठना कहा है। कुँवर वीरेंद्र सिंह और कुमारी चन्द्रकांता की मुहब्बत बाज़ारू न थी, वे दोनों एक रूप हो रहे थे, दिल ही दिल में अपनी जुदाई का सदमा एक ने दूसरे से कहा और दोनों समझ गए मगर किसी पास वाले को मालूम न हुआ, क्यूंकि ज़ुबान दोनों की बंद थी। -देवकीनन्दन खत्री

Brugerbedømmelser af Chandrakanta



Gør som tusindvis af andre bogelskere

Tilmeld dig nyhedsbrevet og få gode tilbud og inspiration til din næste læsning.