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मंसा - S H Wkrishind - Bog

Bag om मंसा

"काल की घोरी आँखों ने, जब काल की माया को देखा था,पाप की तब एक बूँद के ख़ातिर, उनका तन मन बहका था।।"जब ख़ुशियों की परियों की नज़र किसी पर पड़ती है तो वह इंसान प्रेम और सद्भावना का प्रतीक बनकर इस संसार के सामने उभरता है। जीवन में इंसान नफ़रत तो किसी का बुरा करके भी कमा लेता है लेकिन जब बात आती है किसी के दिल में जगह बनाने की तो वह सदियों मारा-मारा फिरता है, लेकिन उसे प्रेम की एक बूँद तक नसीब नहीं होती।

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  • Sprog:
  • Hindi
  • ISBN:
  • 9798211706033
  • Indbinding:
  • Paperback
  • Sideantal:
  • 86
  • Udgivet:
  • 26. januar 2024
  • Størrelse:
  • 127x5x203 mm.
  • Vægt:
  • 95 g.
  • 2-4 uger.
  • 11. december 2024
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Beskrivelse af मंसा

"काल की घोरी आँखों ने, जब काल की माया को देखा था,पाप की तब एक बूँद के ख़ातिर, उनका तन मन बहका था।।"जब ख़ुशियों की परियों की नज़र किसी पर पड़ती है तो वह इंसान प्रेम और सद्भावना का प्रतीक बनकर इस संसार के सामने उभरता है। जीवन में इंसान नफ़रत तो किसी का बुरा करके भी कमा लेता है लेकिन जब बात आती है किसी के दिल में जगह बनाने की तो वह सदियों मारा-मारा फिरता है, लेकिन उसे प्रेम की एक बूँद तक नसीब नहीं होती।

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